बिलाईगढ़-ग्राम पंचायत चीकनीडीह के आश्रित ग्राम करमंदी में इस समय ग्रामीणों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गांव के मुख्य मार्ग में लगातार जलभराव की समस्या ने लोगों का सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस मार्ग से प्रतिदिन सैकड़ों ग्रामीण अपने दैनिक कार्यों, बच्चों की पढ़ाई, खेती-किसानी और आवश्यक सेवाओं के लिए गुजरते हैं, लेकिन सड़क पर फैले गंदे और बदबूदार पानी ने उनकी दिनचर्या को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है।
यह समस्या न सिर्फ असुविधा का कारण बन रही है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा कर रही है। प्रशासनिक उपेक्षा और मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण ग्रामीणों का जीवन नारकीय बन गया है।
मुख्य मार्ग में जलजमाव: मूल कारण और प्रभाव…
ग्राम करमंदी का मुख्य मार्ग गांव की जीवनरेखा है। यह सड़क न सिर्फ ग्रामवासियों को पंचायत मुख्यालय चीकनीडीह से जोड़ती है, बल्कि बाजार, स्कूल, अस्पताल और अन्य जरूरी सेवाओं तक पहुंचने का भी प्रमुख रास्ता है। परंतु बीते कुछ वर्षों से सड़क पर जलनिकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण हर बारिश के मौसम में यह मार्ग कीचड़, गंदगी और पानी से लबालब भर जाता है।
गड्ढों में तब्दील हो चुकी यह सड़क बरसात में तालाब जैसी स्थिति उत्पन्न कर देती है। सड़कों पर जमा पानी कई दिनों तक नहीं सूखता, जिससे कीचड़ और बदबू का आलम बना रहता है। यह हालात न केवल ग्रामीणों की दैनिक आवाजाही में बाधा उत्पन्न करते हैं, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी जानलेवा साबित हो सकते हैं।
ग्रामीणों की पीड़ा: असुविधा और जोखिम भरा जीवन…
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जलभराव की समस्या नई नहीं है। कई वर्षों से इस समस्या की शिकायतें की जा रही हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। खासकर स्कूल जाने वाले बच्चों को अत्यधिक परेशानी होती है। उन्हें कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे अक्सर फिसलकर गिरने की घटनाएं सामने आती हैं।
गांव की वृद्ध महिला श्रीमती दसोदा बाई कहती हैं, “हम तो बरसात में घर से निकलने से भी डरते हैं। पैर फिसल जाए तो हड्डी-पसली टूट जाए। सरकार को हमारे गांव की ओर ध्यान देना चाहिए।”
एक अन्य ग्रामीण भगत पटेल बताते हैं, “बाइक से निकलते हैं तो फिसलने का डर, पैदल निकलते हैं तो कपड़े खराब हो जाते हैं। कई बार बच्चों को बीमारियों का सामना करना पड़ता है।”
स्वास्थ्य पर मंडराता खतरा...
मुख्य मार्ग में जमा गंदे पानी के कारण गांव में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड जैसी बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है।जलजमाव में अक्सर जानवरों का मल-मूत्र भी मिल जाता है, जिससे पानी अत्यधिक प्रदूषित हो जाता है। बच्चों को जबरन इसी रास्ते से स्कूल जाना पड़ता है, जो संक्रमण का बड़ा कारण बन सकता है
सरकारी उपेक्षा और जिम्मेदारियों का टालमटोल…
ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत स्तर पर इस समस्या को कई बार उठाया गया, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला। कुछआ जगहों पर मिट्टी और गिट्टी डालकर समस्या को अस्थायी रूप से दबाने की कोशिश की गई, लेकिन बारिश में सब बह गया। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब कोई बीमार व्यक्ति अस्पताल ले जाने लायक स्थिति में नहीं होता, और कीचड़भरे रास्ते से वाहन चलाना असंभव हो जाता है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और प्रशासन की निष्क्रियता ग्रामीणों में आक्रोश का कारण बन रही है।
गांव के विकास पर प्रश्नचिन्ह…
ग्राम करमंदी में जलनिकासी की कोई ठोस योजना अब तक नहीं बनाई गई है। ऐसे में पानी का निकास न होने से यह मुख्य मार्ग एक स्थायी जलस्रोत बन गया है।
गांव की आबादी धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन आधारभूत ढांचे जैसे सड़क, नाली, स्वच्छता और स्वास्थ्य की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
महिलाओं की स्थिति और सामाजिक प्रभाव…
इस समस्या का सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ा है। उन्हें रोज़मर्रा के कामों जैसे पानी भरना, बाजार जाना, बच्चों को स्कूल छोड़ना, अस्पताल जाना, खेती करना आदि में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
महिला समूहों ने पंचायत में कई बार इस मुद्दे को उठाया, लेकिन उनकी बातें अनसुनी कर दी गईं
प्रशासन से अपेक्षा और भविष्य की राह…
यह समय है जब प्रशासन को इस गंभीर समस्या की ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए। गांव की मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या सिर्फ असुविधा तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक संकट का रूप ले लेगी।स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी अब अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा और गांव के विकास में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। अगर पंचायत स्तर से समस्या का समाधान नहीं होता है, तो जिला स्तर पर पहल जरूरी है।
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