सारंगढ बिलाईगढ़ के जिलाध्यक्ष रूपेश श्रीवास के अगुवाई में सैकड़ों लोग रहे उपस्थित…
सारंगढ़-छत्तीसगढ़ के पारंपरिक नाई (सेन) समाज ने राज्य सरकार के समक्ष अपनी विभिन्न समस्याओं और मांगों को लेकर एक विस्तृत ज्ञापन मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी को जिला कलेक्टर सारंगढ़-बिलाईगढ़ के माध्यम से सौंपा गया,जिसमें समाज ने अपने परंपरागत व्यवसाय, सामाजिक सम्मान और कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की है।ज्ञापन में सबसे प्रमुख मांग के रूप में यह बात कही गई है कि नाई (सेन) समाज पीढ़ियों से सेलून व्यवसाय से जुड़ा रहा है, जो न केवल उनकी आजीविका का प्रमुख स्रोत है बल्कि उनकी सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान का भी अभिन्न हिस्सा है। ऐसे में समाज ने सरकार से अपील की है कि पूरे प्रदेश में सेलून व्यवसाय को सेन समाज के लिए आरक्षित घोषित किया जाए। इससे न केवल समाज को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी बल्कि उनकी सांस्कृतिक विरासत भी संरक्षित रह सकेगी।ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि आजकल सेलून व्यवसाय की आड़ में कई स्थानों पर अवैध स्पा सेंटर चल रहे हैं, जहां अनैतिक गतिविधियों की आशंका जताई गई है। इससे समाज की छवि धूमिल हो रही है और पारंपरिक व्यवसाय की गरिमा को ठेस पहुँच रही है। समाज ने मांग की है कि ऐसे स्पा सेंटरों की जांच कर उन्हें बंद किया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उनके ऊपर आजीवन इस व्यवसाय से प्रतिबंध लगाया जाए। इसके लिए एक सशक्त और प्रभावी कानून बनाए जाने की भी मांग की गई है, ताकि समाज की प्रतिष्ठा बनी रहे।ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि राज्य में कार्यरत केश शिल्पी कल्याण बोर्ड की योजनाओं का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक नहीं पहुँच पा रहा है। समाज ने कहा है कि आज तक सेन समाज को इस बोर्ड से कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाया है, जबकि यह बोर्ड विशेष रूप से केश शिल्पी यानी नाई समाज के कल्याण के लिए गठित किया गया था। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि इस दिशा में विशेष पहल कर योजनाओं का लाभ सीधे समाज के पात्र लोगों तक पहुँचाया जाए।ज्ञापन में समाज ने यह भी मांग रखी है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा विभिन्न विभागों में जारी ट्रेड मैन और अन्य तकनीकी पदों की नियुक्तियों में नाई (सेन) समाज को प्राथमिकता दी जाए। उनका कहना है कि समाज के युवाओं में कौशल की कोई कमी नहीं है, लेकिन उचित अवसर न मिलने के कारण वे बेरोजगारी का शिकार हो रहे हैं। यदि सरकार उन्हें प्राथमिकता दे, तो न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि समाज के युवाओं को एक नई दिशा मिलेगी।नाई (सेन) समाज ने ज्ञापन में एक अहम सांस्कृतिक मांग भी रखी है। उन्होंने अपने आराध्य संत शिरोमणि सेन जी महाराज की जयंती को राजकीय अवकाश घोषित करने की मांग की है। उनका कहना है कि संत सेन जी न केवल समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं, बल्कि उन्होंने सामाजिक समरसता, सेवा और श्रम की महत्ता को भी समाज में स्थापित किया। उनकी स्मृति में अवकाश घोषित करना पूरे समाज के लिए गौरव की बात होगी और उनकी शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम भी बनेगा।
ज्ञापन की प्रतिलिपि छत्तीसगढ़ शासन के गृह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री विजय शर्मा जी को भी भेजी जा रही है। समाज ने आशा व्यक्त की है कि शासन के शीर्ष नेतृत्व द्वारा उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और शीघ्र ही सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।
नाई (सेन) समाज की यह पहल प्रदेश के पारंपरिक व्यवसायों, सामाजिक पहचान और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक सशक्त कदम माना जा रहा है। समाज के लोगों का कहना है कि वे सरकार से उम्मीद रखते हैं कि उनकी पारंपरिक पहचान, व्यवसाय और सामाजिक गरिमा को कायम रखने के लिए हरसंभव सहयोग दिया जाएगा।
उन्होंने विश्वास जताया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार उनकी समस्याओं को संवेदनशीलता से समझेगी और शीघ्र ही समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाएगी।ज्ञापन सौंपने वालो में प्रमुख रूप से जिलाध्यक्ष रूपेश श्रीवास,रामकुमार श्रीवास, बनवारी श्रीवास, सतीश श्रीवास, दुजराम श्रीवास, रामकुमार श्रीवास, वीरेंद्र श्रीवास,दीपेश श्रीवास, उमाशंकर श्रीवास, राकेश श्रीवास, टीकाराम श्रीवास, गुलशन श्रीवास,सुशील श्रीवास, मनोज श्रीवास, प्रकाश श्रीवास सहित सैकड़ों लोग शामिल थे।
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