सीएमएचओ डॉ निराला ने नागरिकों को कुष्ठ शंका होने पर दाग धब्बा का जांच कराने किया अपील…
बिलाईगढ-राज्य शासन के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ बनने के 25 वर्ष पूर्ण होने पर रजत जयंती के अवसर पर कलेक्टर डॉ संजय कन्नौजे एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एफ आर निराला के मार्गदर्शन में विकृति बचाव की शिविर सारंगढ़ ब्लॉक के गोड़म, बिलाईगढ़ ब्लॉक के रायकोना और बरमकेला ब्लॉक के बोन्दा गांव में आयोजित किया गया।सीएमएचओ डॉ निराला ने जिले के सभी नागरिकों से अपील किया है कि कोई भी दाग धब्बा कुष्ठ हो सकता है। कृपया अपनी जांच कराकर सुनिश्चित करा लें।
विकृति बचाव की शिविर में कुल मिलाकर 98 कुष्ठ के रोगियों ने भाग लिया। इसमें 44 पुरुष और 54 महिला मरीजों ने भाग लिया। इसमें हाथ की विकृति वाले 26 और पैर की विकृति वाले 16 मरीज थे, बाकी के मरीज शंकाप्रद थे, जिनका सत्यापन किया गया। आज जांच के बाद 3 नए मरीज की पुष्टि हुई, जबकि एक मरीज को आरसीएस के लिए चिन्हांकित किया गया है तथा 19 मरीजों को सेल्फ केयर किट प्रदान किया गया जिनके पैर में घाव के साथ सुन्नपन था। इसी तरह 27 मरीजों को एक प्रकार की चप्पल जिसे एमसीआर चप्पल कहते है बांटा गया। इस चप्पल की विशेषता होती है शरीर के वजन का प्रेशर फैल जाता है, जबकि आम तौर पर पहनने वाले जूता चप्पल में शरीर का प्रेशर पैर के प्रेशर प्वाइंट में होता है, जहां घाव या अल्सर बनाने की शिकायत होती है। आज के शिविर में तीनों विकासखंड से एक एक कुष्ठ चैंपियन का चयन किया गया। ये कुष्ठ मुक्त मरीज होते हैं। ये कुष्ठ के मरीजों की काउंसलिंग करने में सहयोग करेंगे। पारितोषिक रूप से इनको इनसेंटिव प्रोत्साहन राशि प्रदान किया जाएगा। इस कुष्ठ की विकृति बचाव अभियान के अंतर्गत विकृति वाले रोग मुक्त कुष्ठ के मरीजों में विकृति को बचाव के लिए प्रशिक्षण देना होता है कि, किस प्रकार से विकृति को बचाने के लिए हाथ या पैर को चोट से कैसे बचाए। आग से कैसे बचाए तथा विकृति वाले मरीज को जल, तेल उपचार विधि करके विकृति को बचाने की उपाय का अभ्यास कराया गया। सभी मरीजों को सिखाया गया साथ में पैरों में सुन्नपन होने पैर न हो, इसके लिए एमसीआर चप्पल बांटा, जिसे नियमित रूप से पहनने से पैरों की विकृति रोकने में मदद होती है। उल्लेखनीय है कि सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिला एक हाई इंडिमिक जिला है। यहां कुष्ठ का प्रभाव दर ज्यादा है, जिले में ऐसे गांव की संख्या 135 है जहां लगातार कुष्ठ के मरीज मिल रहे हैं। 406 गांव में कुष्ठ के मरीज एक दो वर्ष के अंतराल में मिल रहे हैं, जबकि शेष गांव में विगत 3 वर्षों से कुष्ठ के मरीज नहीं है।
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