दुर्दशा:-प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से बनी 710 लाख की सड़क…पिकरी घाट से रेत परिवहन से उखड़ने लगी है सड़क…रेत घाट के ठेकेदार ने मामले पर कुछ नहीं कहा… अधिकारी-जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हैं…जाने पूरा मामला…

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दिनेश देवांगन…

कटगी:-पिकरी घाट से इन दिनों रेत परिवहन लगातार किया जा रहा है जिसका खामियाजा राहगीरों को भुगतना पड़ेगा..? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि पिकरी घाट से रेत खनन लगातार हो रहा हालांकि रेत घाट ठेके पर दिया गया है लेकिन परिवहन के लिए 710.06 लाख रुपए से बनी सड़क जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बनी है।

यह सड़क कटगी से लगभग 12 गांव को जोड़ने का एकमात्र सड़क है जो कि इस सड़क से 12 टन तक की वाहन ही प्रवेश कर सकता है लेकिन यहां 12 चक्का हाईवा आमतौर पर जिनकी वजन 30 से 36 टन तक का होता है यानी कहा जाये तो तीन गुना अधिक वजनी हाइवा से रेत परिवहन किया जा रहा है जिसके कारण इस सड़क पर जगह -जगह से दरार और गढ्ढे नजर आ रहे हैं जिसके कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

नका प्रभाव कब दिखेंगा…

आपकों बता दें कि इन दिनों गर्मी के वजह से सड़क में आवागमन तो हो जा रही, लेकिन बरसात के दिनों में लोगों को इस रास्ते से गुजरना मुश्किल हो सकता है क्योंकि अभी से जगह-जगह पर बड़े -बड़े गढ्ढे होना शुरू हो गया है।

क्या कहता है नियम….

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी सड़कों पर 12 टन से अधिक भार लेकर चलने वाले वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित होता है लेकिन यहां ठेकेदार के द्वारा बेधड़क तीन गुना अधिक लोड करके रेत परिवहन किया जा रहा है।

महानदी के पिकरी घाट से हो रहा है रेत खनन….

ज्ञात है कि यह रेत परिवहन पिकरी घाट जो कि महानदी से रेत खनन कर पिकरी से मल्दा, मुड़पार, सर्वा ,सरवानी होते हुए कटगी के नेशनल रोड 130 बी पर जाता है।

15 से 20 दिन लगातार और चला हाईवा तो नहीं बचेगा सड़क….

सड़क पर अगर पूर्ण रुप से रेत परिवहन नहीं प्रतिबंध होगा तो निश्चित ही 15-20 दिनों में सड़क की हालात बेहद खराब हो जायेगी।

कड़ी मशक्कत से बनती है,प्रधानमंत्री  ग्राम सड़क योजना की सड़क, सबसे पहले योजना का प्रस्ताव…

राज्य सरकारें परियोजना प्रस्ताव तैयार करती हैं जिसके बाद
तकनीकी सहायता, राज्य तकनीकी एजेंसियां (एसटीए) इन प्रस्तावों की जांच करती हैं और तकनीकी सहायता प्रदान करती हैं फिर अनुमोदन,परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी के लिए राज्य तकनीकी एजेंसियों द्वारा जांच की जाती है तथा कार्यान्वयन, परियोजना को लागू करने के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार होती हैं। जिसके बाद रखरखाव, सड़क निर्माण के बाद, रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार और राज्य सरकार दोनों की होती है। इस तमाम प्रक्रिया के पूरे होते तक सरकारें बदल जाती है इसके बाद भी लोगों को सड़क मिलना सपने के बराबर होता है।

क्षेत्र के अधिकारी-जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे बैठे हैं…

‌ वहीं आपके यह भी बता दें कि क्षेत्र के अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस मामले पर चुप्पी साधे बैठे हैं क्या अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में यह काम संचालित है या ठेकेदार को इस पर बल दिया जा रहा है कई तरह के सवाल सुलगने लगी हैं।

सड़क की खबर सभी तरफ…

पुरे क्षेत्र में 10-15 गांवों में इस मामले पर तूल पकड़ लिया है लोग धीरे-धीरे समझ रहे हैं की आगे के दिन में हमें परेशानी का सामना करना पड़ेगा ऐसा राहगीर समेत पुरे क्षेत्र के लोग कह रहे हैं‌।

रेत ठेकेदार ने क्या कहा….इस मामले में मैं कुछ नही कह सकता हूं…

गोलू चंद्राकर…पिकरी रेत घाट ठेकेदार…

“ये मेरे विभाग का कार्य नहीं है ये ट्रैफिक और आरटीओ विभाग का कार्य है”

रामरतन दुबे
एसडीएम कसडोल

“ये आरटीओ विभाग का काम है हमारे खनिज विभाग का काम नहीं है इनमें हम कुछ नहीं कर सकते आप आरटीओ विभाग में शिकायत करें। ”

भूपेंद्र भगत             

माईनिंग इंस्पेक्टर बलौदाबाजार

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