बलौदाबाजार-जीवन यापन के लिए वन एवं वन उत्पाद पर निर्भर रहने वाले वनवासियों के जीवन में हरा सोना कहे जाने वाले तेन्दूपत्ता खुशियां भर रहा है। तेंदूपत्ता संग्रहण अब फायदे क़ा काम साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने सरकार गठन के बाद तेन्दू पत्ता संग्रहण की दर को बढ़ाकर 5500 रुपए प्रति मानक बोरा कर दिया है।इससे तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों में उत्साह का माहौल है।
बलौदाबाजार विकासखंड के छोटे से गाँव बिटकुली की ऊषा सेन की जीवन हर उस महिला की आवाज़ है जो मेहनत और संघर्ष के दम पर अपना जीवन संवारती है। ऊषा, जब पहली बार ससुराल आई थी तो उसने सपनों से भरी आँखों के साथ नये जीवन की शुरुआत की थी लेकिन सपने तब हकीकत बनते हैं, जब उन्हें पूरा करने की ताकत हो।ऊषा ने ससुराल में अपनी सास के साथ तेंदूपत्ता तोड़ने का काम शुरू किया। सूरज की पहली किरण के साथ जंगल की ओर बढ़ते कदम और दिनभर की मेहनत ने ऊषा को मजबूत बना दिया। धीरे-धीरे, वह अपने पति माखन सेन के साथ इस काम में जुट गई। बीते 20 सालों से जंगल उसका साथी है और तेंदूपत्ता तोड़ना उसकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा।लेकिन इस काम से मिलने वाली कमाई इतनी कम थी कि परिवार का गुजारा मुश्किल से चलता। फिर एक दिन, सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों की परेशानी को समझा। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि को 5500 रुपये प्रति मानक बढ़ाकर ऐसे परिवारों के जीवन में रोशनी ला दी। यह खबर ऊषा के लिए किसी वरदान से कम नहीं थी।अब वह अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा सकती है, घर में जरूरत की चीजें खरीद सकती है और सबसे बड़ी बात, एक आत्मनिर्भर महिला बन चुकी है।ऊषा का चेहरा गर्व से चमकता है जब वह कहती है, “हम जंगल के साथ जीते हैं और तेंदूपत्ते हमारी ज़िंदगी हैं। मुख्यमंत्री जी ने हमारे संघर्ष को समझा और हमें नई उम्मीद दी। उनके इस कदम ने हमारी ज़िंदगी बदल दी।उन्होंने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी का धन्यवाद किया है।
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