पूर्व संसदीय सचिव चंद्रदेव राय को अंततः “ईडी” से मिली राहत…

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सत्य परेशान हो सकता है मगर पराजित नहीं…

विशेष न्यायालय ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 88 के आवेदन पर सुनाया फैसला…

बिलाईगढ़-साँच को आंच नहीं और यह कहावत भी चरितार्थ है कि सत्य परेशान हो सकता है मगर पराजित नहीं। यह कहावत पूर्व संसदीय सचिव चंद्रदेव राय के प्रकरण पर फिट बैठता है। विश्वास सूत्रों की माने तो कॉल ब्लॉक प्रकरण में अंतत पूर्व संसदीय सचिव एवं बिलाईगढ़ पूर्व विधायक चंद्रदेव राय जी को ईडी ने बड़ी राहत दी है। कांग्रेस शासन में शिक्षक से विधायक और फिर संसदीय सचिव तक के पद का सफर कम समय में तय करने वाले बिलाईगढ़ विधान सभा के पूर्व विधायक चंद्रदेव राय के ख्याति और प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से उन पर विरोधियों ने कई वार किये तो उनके टिकट से लेकर राजनीतिक कद को कम करने के प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ा, फिर भी चंद्रदेव राय विचलित नहीं हुए और सत्य की आस में समय का इंतजार करते रहे। इस दौरान उन्हें विधान सभा की टिकट हो या जीत हो या राजनीतिक के सफर में थोड़ा ठहराव सब कुछ सहना पड़ा मगर कहते हैं की “सत्य परेशान हो सकता है मगर पराजित नहीं।” राजनीतिक द्वेष को लेकर विरोधियो के द्वारा निरंतर उन पर वार प्रतिवार होता रहा लेकिन वह अडिग रहे और इस दरमियान कांग्रेस ने भी उन पर पूर्व की भांति भरोसा कायम रखा, जिसके फल स्वरूप उन्हें बड़ी जवाबदारी स्वरूप रायगढ़ नगर निगम चुनाव के प्रभारी के रूप में अहम जवाबदारी सौंपी। जिसे पार्टी फोरम का आदेश समझकर उन्होंने हमेशा की तरह पूरी निष्ठा से निभाया। कोल घोटाले प्रकरण में ई डी की विशेष अदालत ने आरोपी बनाए गए पूर्व संसदीय सचिव चंद्रदेव राय और चार अन्य नेताओं को अंततः ई डी ने राहत दे दी है। विशेष न्यायालय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 88 के आवेदन पर ई डी ने अपना फैसला सुनाया है। 10-10 हजार रुपए के बॉन्ड दाखिल करने उक्त मामले के सुनवाई न्यायालय ने दिए हैं।
संसदीय सचिव चंद्रदेव राय के लिए यह बड़ी राहत है और विरोधियों के साथ कई मीडिया जो इन्हें लेकर इनके विरुद्ध कयासों का सीगुफा छोड़ रही थी उस पर भी अब पूर्ण विराम लग गया है और उनके छवि को लेकर जो चर्चा परिचर्चा का बाजार गर्म रहा वह कहीं ना कहीं इनके व्यक्तित्व और राजनीतिक कद को और बड़ा करता है।

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