सकरापाली में शिव की भक्ति में लीन नर और नारी…क्षेत्र में पहली बार शिव महापुराण की कथा का आयोजन…

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बिलाईगढ़-सकरापाली में साहू परिवार द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा के चतुर्थ दिवस कथा वाचक छत्तीसगढ़ के गौरव माटीपुत्र एवम राष्ट्रीय कथा वाचक आचार्य पंडित रामानुज युवराज पांडेय ने कहा शिव महापुराण में माता सती की कथा एक महत्वपूर्ण और पवित्र कथा है, जो भगवान शिव और माता सती के प्रेम और त्याग की कहानी को दर्शाती है। माता सती भगवान शिव की पहली पत्नी थीं और वे दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं।

माता सती का जन्म एक आदर्श और पुण्यात्मा के रूप में हुआ था और वे भगवान शिव की भक्ति में लीन थीं। वे भगवान शिव के साथ विवाह करने के लिए लालायित थीं और उन्होंने भगवान शिव को अपने पति के रूप में स्वीकार किया था।
एक दिन, दक्ष प्रजापति ने एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने सभी देवताओं और ऋषियों को आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने भगवान शिव और माता सती को आमंत्रित नहीं किया। माता सती ने अपने पिता के यज्ञ के बारे में सुना और वे अपने पति भगवान शिव के साथ वहां जाना चाहती थीं, लेकिन भगवान शिव ने उन्हें मना कर दिया।

भगवान शिव ने माता सती से कहा कि वे उनके पिता के यज्ञ में नहीं जाएंगे, क्योंकि दक्ष प्रजापति ने उन्हें आमंत्रित नहीं किया है। लेकिन माता सती ने भगवान शिव की बात नहीं मानी और वे अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए अड़ गईं।
माता सती ने भगवान शिव से कहा कि वे उनके पिता के यज्ञ में जाएंगी और अपने पति का अपमान नहीं सहन करेंगी। भगवान शिव ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन माता सती ने उनकी बात नहीं मानी। वे अपने पिता के यज्ञ में गईं, लेकिन वहां उनका अपमान किया गया और भगवान शिव के बारे में अपमानजनक बातें कही गईं।

माता सती ने अपने पिता के यज्ञ में अपने पति का अपमान नहीं सहन किया और उन्होंने अपने शरीर को अग्नि में भस्म कर दिया। भगवान शिव ने जब इस बात का पता लगाया, तो वे बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने अपने गणों को दक्ष प्रजापति के यज्ञ को नष्ट करने के लिए भेजा।

भगवान शिव ने माता सती के शरीर को अपने कंधे पर उठाया और तांडव नृत्य करने लगे। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को काटना शुरू किया, जिससे उनके शरीर के विभिन्न भाग विभिन्न स्थानों पर गिरे। इन स्थानों को शक्तिपीठ कहा जाता है, जो आज भी माता सती की पूजा के लिए प्रसिद्ध हैं।माता सती की कथा हमें सिखाती है कि एक पत्नी का अपने पति के प्रति प्रेम और त्याग कितना महत्वपूर्ण है। माता सती की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि भगवान शिव की भक्ति और प्रेम कितना शक्तिशाली है। माता सती की कथा एक प्रेरणादायक और पवित्र कथा है, जो हमें भगवान शिव और माता सती के प्रेम और त्याग की कहानी को दर्शाती है।

आज भी, माता सती की पूजा की जाती है और उनकी कथा को सुनने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति और शक्ति मिलती है। माता सती की कथा हमें यह भी सिखाती है कि हमें अपने पति और परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए और उनकी इज्जत करनी चाहिए।

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